वोह देखो हँसता है वोह देखो रोता है, वो दिनों को देखो जीता है,
वोह न रुकता है वो न थमता है, पर कभी वो थका भी दिखता है ...
जो मिला वो कभी चाह नहीं, जो चाहा वो कभी मिला नहीं,
मेरी ज़िन्दगी की किताब को जाने कौन लिखता है ...
मेरी दिल के आरजोयो में अब कहीं कोई नाम नहीं ,
जो थे वो कहीं मिट गए, नए अब मैं बस लिखता नहीं...
-तुषार