
कभी खुद के लिए कभी बस यूही कुछ कहा है हमने,
तलाश रहे थे सहारा बेसहारो की भरी नगरी में,
कई बार खुद को खुद से हारते देखा है हमने ;
ज़िन्दगी को कई बार आखँ बंद कर देखा है हमने...
चाह थी एक मामूली आराम की बस आम सी,
कभी थके खुद, पर उनको आराम देते देखा है हमने;
ज़िन्दगी को कई बार आखँ बंद कर देखा है हमने...
आज उनको देख जलन होती नहीं, खुशी भी नहीं,
कई सिलसिलो को गुजरते जाते देखा है हमने;
ज़िन्दगी को कई बार आखँ बंद कर देखा है हमने...
-तुषार
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ReplyDeleteआज उनको देख जलन होती नहीं, खुशी भी नहीं,
कई सिलसिलो को गुजरते जाते देखा है हमने;
ज़िन्दगी को कई बार आखँ बंद कर देखा है हमने.
its not how you compromise, but learn to let go. to live for now.