एक रिश्ता था जो
पीछे छूटा है वो
कहाँ गई मंजीलें
खो गए रास्ते
एक सपना था जो
बुना मिलके था वो
छूटी बाहों की गली
मिली न कोई कलि
एक कहानी थी जो
चाहत से बुनी थी वो
लफ्ज़ का चेहरा नहीं
वादें खो गए यहीं
एक साथ था जो
हाथ थामता था वो
बाहें पास बुलाती है
अकेले अब घबराटी है
एक खुशी थी जो
पल पल हसाती थी वो
जागती रात है अब
सूने दिन है अब
-तुषार
आपकी इस कविता के लिए मेरे कुछ शब्द....
ReplyDeleteएक कविता है जो
अनकहे से दर्द समेटे है वो
दिल की गहराइयों से जो महसूस होते हैं
कहने जाओ तो शब्द अपने अर्थ खोते हैं
-deepak tiwari
Why is so difficult to let go ?
ReplyDeleteHow come we dont feel happy when we remember those tender warm moments ?
Why does the Sun not shine on my darkest days ?
~ NilS
There is lot of pain in you poetries which I am unable to find in your twinkling eyes.
ReplyDeletenainon kee maat suniyo..
naina thag lenge....