Friday, October 21, 2011

...आँचल...

क्या माँ के आँचल को छू सकता हूँ...
कुछ थक सा गया हूँ , क्या माँ कि गोद में सो सकता हूँ...
कहते है बड़ा हूँ गया है अब 'कबीर' ...
पर क्या कुछ पल के लिए माँ का चंदा बन सकता हूँ ?
-तुषार

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