Sunday, November 01, 2009

सुबह

आज सुबह कोई ख्वाब न था …
…था तो बस एक प्यारा सुकून
पता नहीं क्यों …बस अजब गीली हँसी से
पहली बार साथ आज शायद वो ख्याल भी उठा है
-तुषार

No comments:

Post a Comment