Saturday, October 24, 2009

इंतज़ार ....

न जाने लफ्ज़ कहाँ गुम हो गए,
नाम लिखने के बाद ...
कुछ भी न लिख सका उस चेहरे की कर याद ...
खली ख़त ही भेज दिया जाने किस उम्मीद के साथ ...
हर जवाब तुम हो ...आज भी है इंतज़ार ...
-कबीर का दोस्त

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