चोखट खुली आज भी है ,
आँख कुछ सुनी भी ,
घड़ी का वक्त वही है,
जहाँ शुरु हुआ था ये इंतज़ार भी ,
किताब मैं कहीं पत्ते सूखे है ,
धूल पड़ी है आईने पर ,
और कुछ बूँदें आँगन में...
...बस बरस रही है ,
दूर उसी सूखी चोखट से...
-तुषार
आँख कुछ सुनी भी ,
घड़ी का वक्त वही है,
जहाँ शुरु हुआ था ये इंतज़ार भी ,
किताब मैं कहीं पत्ते सूखे है ,
धूल पड़ी है आईने पर ,
और कुछ बूँदें आँगन में...
...बस बरस रही है ,
दूर उसी सूखी चोखट से...
-तुषार
कोई इंतजार ऐसा भी होता हैं
ReplyDeleteजो कभी ख़त्म नहीं होता हिं
करते रहते हो इंतजार बेकारी से
पर वोह न आएंगे पता होता हैं
I suddenly read my old burried poetry..written some years back..
Too Good boss..
Sometimes you remind me my own writes..
Same thaughts but different presentation style..
I always your writes over mine..
What do you say..
जिस रस्ते पर चले थे साथ कभी
ReplyDeleteतन्हाई थी वहां सन्नाटा था वहां
निशान थे पैरों के तुम्हारे वहां
रौशनी थी तुम्हारे हुस्न की वहां
कुछ बिखरे हुए फूल परहे हैं वहां
कुछ टूटे हुए तुक्र्हे दिल के थे वहां
आहट थी तुम्हारी खामोशी की वहां
न थे तो वोह तुम न थे वहां
Some excerpts from my one of poetry resembles yours..