Saturday, October 24, 2009

तमन्ना ....

न इंतज़ार कोई , न है बेबसी सी
कहीं बस ख्याल उनका कुछ गुदगुदा जाता है
वो कहे न कहे कुछ हमसे , तो क्या ?
किसी तमन्ना से दिल फिर भी मुस्कुरा जाता है...
-तुषार

1 comment:

  1. माना की जवाब वोह देते नहीं हैं
    सुनने सुनाने को ही कोई वार्तालाप कहते हैं
    कुछ बातचीत ऐसे होते हैं
    जो बस दिल से दिल मैं ही रहती हैं

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