Sunday, June 06, 2010

...होंगे

जाम लिए हाथ मैं कहो न ए दिल,
लफ्ज़ वो तेरे भी अनसुने होंगे ;

दिलो का खेल है और दस्तूर एक ,
तेरी ज़मीन पर चंद अशक ही होंगे ;

न हो बेपर्दा और न ही किताब ,
कुछ दर्द बहे तो बस लुत्फ़ होंगे ;

दे इजाज़त मोहबत करने की मुझे ,
मेरे गुनाह कई फिर तुझे बक्शने होंगे ;

तू भी परख मुझे , और मैं भी , मालिक ,
कभी तो तेरे लिए हम भी इंसान होंगे ;
/*This is a stolen but felt thought */

दे गए आराम कुछ पल बैठ कर ,
और कितने दोस्ती के क़र्ज़ होंगे ;
-तुषार

1 comment:

  1. Hi Tushar,
    This one is really awesome!! I do not have words for it, specially "de ijajat mohabbat karne ki..." and "de gaye aaram kuch pal..." have a lot in it.

    Regards,
    Shiv

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