Wednesday, November 30, 2016

...था...


आज फिर बरस गया
आज फिर भीग गया
कागज़ सा एक खवाब था ...

आज फिर कह गया
आज फिर सह गया
पत्थर सा एक आदम था...

आज फिर हंस गया
आज फिर बह गया
आईने  सा एक चेहरा था...

आज फिर रुक गया
आज फिर ठहर गया
सोच सा एक दर्द था ...

आज फिर मिल गया
आज फिर खिल गया
ओस सा रिश्ता था ...
-तुषार
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

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