Friday, December 12, 2008

ज़िन्दगी ..धुप..छाव

ज़िन्दगी है अजब कुछ धुप-छाव

कभी खिलते रंग कभी धुलती शाम

पल पल बढते कदम कभी रुकते पाव

कभी सबके लिए कभी मेरे नाम

-कबीर

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