Why we say good byes?
With a smile and wet eyes
Loads of wishes few said
Lot of feeling left unsaid
For wonderful journey you have
For a life you want to carve
For moments to be unfolded
For new stature to be molded
I would not say, no byes
There will be no wet eyes
Just a sweet little smile
As you head to new mile
No parting gift no farewell game
Just a promise, as I add a name
Into my life, a relation not to wane
You will live in life’s memory lane
Why we say good byes?
With smile with wet eyes
For wonderful journey you have
For a life you want to carve…
-Tushar
PS: I posted it almost after a year. Jerry left Aricent in Oct 2008
Monday, September 28, 2009
Saturday, September 26, 2009
what if ...
हर सपने का आगाज़ है एक ‘अगर’,
‘अगर’ यह हो तो बस होगा क्या ?
पर उसी का अंत होता है एक ‘मगर’,
मगर उन सपनो से ज़िन्दगी चलती है क्या ?
*********************************************
Every dream starts with “what if”
“what if “ it gets a form of being real
And then it concludes into being real
A reality that leaves only the “what if “ …
-Tushar
‘अगर’ यह हो तो बस होगा क्या ?
पर उसी का अंत होता है एक ‘मगर’,
मगर उन सपनो से ज़िन्दगी चलती है क्या ?
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Every dream starts with “what if”
“what if “ it gets a form of being real
And then it concludes into being real
A reality that leaves only the “what if “ …
-Tushar
अगर...मगर...
जिंदगी ‘अगर’ में जी लेते तो सही,
जहाँ में ‘मगर ’ होगे बहूत ;
वो साथ तो होगे हर वक्त,
तनहा पल फिर भी होगे बहूत;
कहीं कोहरे को बदल समझ बैठे,
बहना चाहते थे साथ हम भी ‘मगर’;
छट गई धुंध और खड़े रह गए दरख्त,
सालो से जैसे किसी का इंतज़ार हो बहूत ;
जिंदगी खड़ी थी उस मोड़ पर वहां,
रास्ता सीधा पहूचता था ‘मगर’,
एक काफिर ने राह यूँ मोड़ दी है कि ,
मंजिल नज़र से दूर हुई है बहूत;
अपने होने का सबब पूछ बैठा आंसू,
कह न पाए हम उस लगी को ‘मगर’,
बहा है अपने ही लहू से वो भी,
दर्द भी है, और खुशी भी बहूत;
-तुषार
जहाँ में ‘मगर ’ होगे बहूत ;
वो साथ तो होगे हर वक्त,
तनहा पल फिर भी होगे बहूत;
कहीं कोहरे को बदल समझ बैठे,
बहना चाहते थे साथ हम भी ‘मगर’;
छट गई धुंध और खड़े रह गए दरख्त,
सालो से जैसे किसी का इंतज़ार हो बहूत ;
जिंदगी खड़ी थी उस मोड़ पर वहां,
रास्ता सीधा पहूचता था ‘मगर’,
एक काफिर ने राह यूँ मोड़ दी है कि ,
मंजिल नज़र से दूर हुई है बहूत;
अपने होने का सबब पूछ बैठा आंसू,
कह न पाए हम उस लगी को ‘मगर’,
बहा है अपने ही लहू से वो भी,
दर्द भी है, और खुशी भी बहूत;
-तुषार
Tuesday, September 22, 2009
रात...
कुछ अज़ब फैलाव है ,
कुछ अज़ब सा ठहराव,
कुछ रुकी खामोशी,
कुछ बस बहता अँधेरा ;
कुछ ऐसा है रात का आगोश ,
जैसे बस कोई ख्याल हों फैला ,
हर कुछ जैसे बस खो सा गया है ,
बस एक रंग में सर्द राख सा बना ;
इसी ठहराव में चलता है कोई,
इसी खामोशी में होती है कुछ बातें ,
इसी अंधेरे से मिलता है वो उजाला ,
जहाँ मिलता हूँ मैं
मुझसे
मेरे सपनो में...
-तुषार
कुछ अज़ब सा ठहराव,
कुछ रुकी खामोशी,
कुछ बस बहता अँधेरा ;
कुछ ऐसा है रात का आगोश ,
जैसे बस कोई ख्याल हों फैला ,
हर कुछ जैसे बस खो सा गया है ,
बस एक रंग में सर्द राख सा बना ;
इसी ठहराव में चलता है कोई,
इसी खामोशी में होती है कुछ बातें ,
इसी अंधेरे से मिलता है वो उजाला ,
जहाँ मिलता हूँ मैं
मुझसे
मेरे सपनो में...
-तुषार
पलछिन
ज़िन्दगी आइना है रूह का मेरी ,
सवारते रहते है लिबास कई ;
अनजान कोई हर सुबह मिलता है !
वो सडको पे बरसता है ,
रात में थके साए कई ;
चाँद तो दिन मैं सोता है !
कहीं कोई रुक गया है झरना ,
मोती फिर भी मिलते है वही ;
क्या कोई हार टूटा है !
किताब की धूल झाड़ दी हमने ,
नए फूल गुलदस्ते में सही;
क्या यादो को कबाडी लेता है !
रात में तनहा नहीं, दिन में है ,
कहो मिजाज़ यह क्या कहता है ;
रोशन तारे है , पर टिमटिमाते ही है !
-तुषार
सवारते रहते है लिबास कई ;
अनजान कोई हर सुबह मिलता है !
वो सडको पे बरसता है ,
रात में थके साए कई ;
चाँद तो दिन मैं सोता है !
कहीं कोई रुक गया है झरना ,
मोती फिर भी मिलते है वही ;
क्या कोई हार टूटा है !
किताब की धूल झाड़ दी हमने ,
नए फूल गुलदस्ते में सही;
क्या यादो को कबाडी लेता है !
रात में तनहा नहीं, दिन में है ,
कहो मिजाज़ यह क्या कहता है ;
रोशन तारे है , पर टिमटिमाते ही है !
-तुषार
याद..
कुछ भी तो याद नहीं
ना बीते पल, ना गुजरे लम्हे
क्या यादो को बक्से में बंद कर दिया है
या कुछ यादगार था ही नहीं ...
-तुषार
ना बीते पल, ना गुजरे लम्हे
क्या यादो को बक्से में बंद कर दिया है
या कुछ यादगार था ही नहीं ...
-तुषार
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