Monday, September 28, 2009

bye bye Jerry

Why we say good byes?
With a smile and wet eyes
Loads of wishes few said
Lot of feeling left unsaid

For wonderful journey you have
For a life you want to carve
For moments to be unfolded
For new stature to be molded

I would not say, no byes
There will be no wet eyes
Just a sweet little smile
As you head to new mile

No parting gift no farewell game
Just a promise, as I add a name
Into my life, a relation not to wane
You will live in life’s memory lane

Why we say good byes?
With smile with wet eyes
For wonderful journey you have
For a life you want to carve…

-Tushar
PS: I posted it almost after a year. Jerry left Aricent in Oct 2008

Saturday, September 26, 2009

what if ...

हर सपने का आगाज़ है एक ‘अगर’,
‘अगर’ यह हो तो बस होगा क्या ?
पर उसी का अंत होता है एक ‘मगर’,
मगर उन सपनो से ज़िन्दगी चलती है क्या ?

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Every dream starts with “what if”
“what if “ it gets a form of being real
And then it concludes into being real
A reality that leaves only the “what if “ …
-Tushar

अगर...मगर...

जिंदगी ‘अगर’ में जी लेते तो सही,
जहाँ में ‘मगर ’ होगे बहूत ;
वो साथ तो होगे हर वक्त,
तनहा पल फिर भी होगे बहूत;

कहीं कोहरे को बदल समझ बैठे,
बहना चाहते थे साथ हम भी ‘मगर’;
छट गई धुंध और खड़े रह गए दरख्त,
सालो से जैसे किसी का इंतज़ार हो बहूत ;

जिंदगी खड़ी थी उस मोड़ पर वहां,
रास्ता सीधा पहूचता था ‘मगर’,
एक काफिर ने राह यूँ मोड़ दी है कि ,
मंजिल नज़र से दूर हुई है बहूत;

अपने होने का सबब पूछ बैठा आंसू,
कह न पाए हम उस लगी को ‘मगर’,
बहा है अपने ही लहू से वो भी,
दर्द भी है, और खुशी भी बहूत;
-तुषार

हमसफ़र...




वक्त हंसा , और देखो हम भी ...
वक्त ठहरा , और यारो हम भी ...
चला जो वक्त , तो मगन हम भी ...
ज़िन्दगी का सफर और कई मोड़ भी ...
कदम और वक्त एक हमसफ़र भी ...
-तुषार

Tuesday, September 22, 2009

रात...

कुछ अज़ब फैलाव है ,
कुछ अज़ब सा ठहराव,
कुछ रुकी खामोशी,
कुछ बस बहता अँधेरा ;

कुछ ऐसा है रात का आगोश ,
जैसे बस कोई ख्याल हों फैला ,
हर कुछ जैसे बस खो सा गया है ,
बस एक रंग में सर्द राख सा बना ;

इसी ठहराव में चलता है कोई,
इसी खामोशी में होती है कुछ बातें ,
इसी अंधेरे से मिलता है वो उजाला ,
जहाँ मिलता हूँ मैं
मुझसे
मेरे सपनो में...

-तुषार

पलछिन

ज़िन्दगी आइना है रूह का मेरी ,
सवारते रहते है लिबास कई ;
अनजान कोई हर सुबह मिलता है !

वो सडको पे बरसता है ,
रात में थके साए कई ;
चाँद तो दिन मैं सोता है !

कहीं कोई रुक गया है झरना ,
मोती फिर भी मिलते है वही ;
क्या कोई हार टूटा है !

किताब की धूल झाड़ दी हमने ,
नए फूल गुलदस्ते में सही;
क्या यादो को कबाडी लेता है !

रात में तनहा नहीं, दिन में है ,
कहो मिजाज़ यह क्या कहता है ;
रोशन तारे है , पर टिमटिमाते ही है !
-तुषार

याद..

कुछ भी तो याद नहीं
ना बीते पल, ना गुजरे लम्हे
क्या यादो को बक्से में बंद कर दिया है
या कुछ यादगार था ही नहीं ...
-तुषार