जिंदगी ‘अगर’ में जी लेते तो सही,
जहाँ में ‘मगर ’ होगे बहूत ;
वो साथ तो होगे हर वक्त,
तनहा पल फिर भी होगे बहूत;
कहीं कोहरे को बदल समझ बैठे,
बहना चाहते थे साथ हम भी ‘मगर’;
छट गई धुंध और खड़े रह गए दरख्त,
सालो से जैसे किसी का इंतज़ार हो बहूत ;
जिंदगी खड़ी थी उस मोड़ पर वहां,
रास्ता सीधा पहूचता था ‘मगर’,
एक काफिर ने राह यूँ मोड़ दी है कि ,
मंजिल नज़र से दूर हुई है बहूत;
अपने होने का सबब पूछ बैठा आंसू,
कह न पाए हम उस लगी को ‘मगर’,
बहा है अपने ही लहू से वो भी,
दर्द भी है, और खुशी भी बहूत;
-तुषार
"Chat gayi dhoondh aur khade rah gaye darakht Saalo se jaise kisi ka intezaar hoon bahoot"
ReplyDeleteHow can someone think this.
your thoughts are superb.
-vinay
amazing man amazing... this is worth millions in bollywood..
ReplyDelete-Vinay
Second is my best para..
ReplyDeletebahut hee barhiya likhi hian boss..
-Chakresh
अपने होने का सबब पूछ बैठा आंसू,
ReplyDelete....nothing to ask...nothing to say after this ...this is world, I can't think beyond this...it has all ...it covers every thing ...
-Kabir ka dost (this was said in words to me )
To whome are you blaming by these lines:
ReplyDeleteजिंदगी खड़ी थी उस मोड़ पर वहां,
रास्ता सीधा पहूचता था ‘मगर’,
एक काफिर ने राह यूँ मोड़ दी है कि ,
मंजिल नज़र से दूर हुई है बहूत;