कुछ अज़ब फैलाव है ,
कुछ अज़ब सा ठहराव,
कुछ रुकी खामोशी,
कुछ बस बहता अँधेरा ;
कुछ ऐसा है रात का आगोश ,
जैसे बस कोई ख्याल हों फैला ,
हर कुछ जैसे बस खो सा गया है ,
बस एक रंग में सर्द राख सा बना ;
इसी ठहराव में चलता है कोई,
इसी खामोशी में होती है कुछ बातें ,
इसी अंधेरे से मिलता है वो उजाला ,
जहाँ मिलता हूँ मैं
मुझसे
मेरे सपनो में...
-तुषार
Amazing … I like it…
ReplyDeleteAur is baar sab samajh mein bi aya … J
-Shailly
creative one..
ReplyDeleteSecond para is the my fav one..