ज़िन्दगी आइना है रूह का मेरी ,
सवारते रहते है लिबास कई ;
अनजान कोई हर सुबह मिलता है !
वो सडको पे बरसता है ,
रात में थके साए कई ;
चाँद तो दिन मैं सोता है !
कहीं कोई रुक गया है झरना ,
मोती फिर भी मिलते है वही ;
क्या कोई हार टूटा है !
किताब की धूल झाड़ दी हमने ,
नए फूल गुलदस्ते में सही;
क्या यादो को कबाडी लेता है !
रात में तनहा नहीं, दिन में है ,
कहो मिजाज़ यह क्या कहता है ;
रोशन तारे है , पर टिमटिमाते ही है !
-तुषार
Beautiful! My favourite is # 2.
ReplyDelete-Jatin
Your work is getting too good and too refined with time….. J
ReplyDelete-Nimish
amazing dada amazing. hell.hell hell.
ReplyDeletekitaab ki dhool jhaad di humne
naye phool guldaste main sahi
kya yadoo ko kabadi leta hai ?
-Vinay
this is really a very nice try, will rate as one of the best i have seen from you
ReplyDelete-Roopesh
mast likhi hian janab..
ReplyDeleteaise hee likhte raho..and u will reach to maximum