Sunday, May 29, 2011

..दर्द..

सवाल अब कोई पूछे नहीं जाते तुझसे ,
ज़िन्दगी इस शर्त पर ही तो मिले है हमे;


कुछ था ही नहीं मेरा पास मेरे , जो तू ले गया ,
किस्मत शायद तेरी , खुदा ने बक्श दी थी हमे;


मुस्कराहट की रौशनी है लबो पे सबकी ,
दर्द रातों को ही तो बस जगाता है हमे;


कुछ रिश्ते बड़े महगे हुए ‘कबीर ’ तेरे ,
रोये वोह तो उनकी कीमत पता चली हमे ;


On valentine day rose killing :


गुलाब बिछड़े कई अपनों से , महकाए कई चेहरे ,
कुछ ऐसे ही खुद के लिए , ज़माने ने अपनाया है हमे


-तुषार

1 comment:

  1. daRD..
    bhai ab to aisa na likha kar..
    too much pain..still lies in ur poetries..

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