Sunday, January 04, 2009

...बिना ख़बर

शक्ल देख अपनी जीते हुए ऐ आदम,
कहीं सूरत बदल जाए बिना ख़बर !

ख्याल में खो गये मदहोश,
अस्ल छूट गया कहीं बिना ख़बर !

वोः दोस्तों के साथ हसते हर कदम,
बेईमान बन गया आशिक बिना ख़बर!

इंतज़ार मौत दस्तक पर बैठे-बैठे ,
ज़िन्दगी उड़ा दी यूही बिना ख़बर;

कल गुजरने पे रुका सोया,
आज बस बह गया बिना ख़बर;

पा लिया ताज-ओ-तख्त ऐ साहिब,
ज़मीनी हुआ 'कबीर' बिना ख़बर;

-तुषार/कबीर

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