यहाँ फिर लौटते अजब पशेमान है,
अपने यार कहाँ, बेगाने नाम सुनता है;
कुछ पत्ते भीगे कुछ मौसम पीला है,
वही जानी गलियाँ , बदला मकान लगता है;
'कबीर' शायद अभी बीत नहीं पाया है,
हर कोई बस दुनिया-ऐ-दस्तूर जीता है;
दिल मैं बहते सालो के लम्हे है,
आखों मैं अलग बस मंज़र दीखता है;
-तुषार
hmm
ReplyDeletebahut khoob..
welcome 2 India without ND (ND got married)...
Nice thaugh...btw