Friday, January 09, 2009

मोड़..


उस मोड़ पे मिले, इस मोड़ तक चले हमदम
ज़िन्दगी पा ली तेरे साथ से हर कदम !


उस मोड़ पे मिले, इस मोड़ तक चले हम
ज़िन्दगी की डगर मंजिल तू ए हमसफ़र
कभी बढे कभी रुके रह के कदम
तू साथ बस, चाहत और हम बेखबर ।


हर मोड़ मुढा है मंजिल-ऐ-जान के लिए,
बेखयाल के अदा-ऐ-पता बदल गया ।

-तुषार

No comments:

Post a Comment