यहाँ से जाते रोते है हँसते भी है हम
अंजान बेखबर क्या पाया क्या खोते है हम
हर रिश्ता कुछ एहसासों का सिला ही तो है
कुछ लिखते कुछ मिटाते रहे है हम
वो आए मेरे यार फिर दर से विदा हुऐ भी
हर आहट से मिले, हर कदम से बिछडे है हम
हर एक रूप उसका बस इबादत है मेरी
कभी दूंढे कभी निहारते रहे है हम
-तुषार
wah wah..
ReplyDeletegajab dha deeya..
हर एक रूप उसका बस इबादत है मेरी
कभी दूंढे कभी निहारते रहे है हम
Mast likha hian..