कहानी के पन्नो पर,
चलो कुछ लिख देते है ,
जो करते है महसूस ,
चलो कुछ एहसास कह देते है।
भूल जाते हैं कुछ समय के लिए ,
कौन पढ़ेगा उन पन्नो को ,
और उन अपने लम्हो के लिए ,
चलो यादो को कलम कर देते है।
बारिश के साथ जो बह गया,
जो ठहरे बादल सा रह गया,
कुछ चुरा लेते है उस काजल से ,
चलो स्याही उसे कर देते है।
सफर के हमसफ़र सा,
थमे गुजरते दरख़्त की पत्तियों सा,
उन शाखों को पिरो लेते है ,
चलो चेहरों को शब्द नज़र कर देते है।
वो जो था या नहीं था ,
हकीक़त और ख़्वाब के बीच कही था ,
कुछ उठा लेते है हकीक़त से,
चलो पुराने ख़्वाबों में नए रंग भर देते है।
-कबीर (तुषार)
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.