शायद कोई मौत अभी बाकी है ,
कितनी यादें कितनी उम्मीदें,
बहुत कुछ दफनाना
अभी
बाकी है !
दीवारों के रंग बदल दिए,
तस्वीरों से आईने पोछ दिए,
जिस गली में ठहरे खड़े है,
उस गली से गुज़ारना
अभी
बाकी है
!
बातों में वो जो चेहरे है,
गीतों से जुड़ी जो बातें है,
जो फ़क़त कभी लिखा नहीं ,
वो सब मिटाना
अभी
बाकी है !
वो जलते-२ भुझ भी गया,
आसमां सा वक़्त रुक भी गया,
बहुत कुछ धीरे-२ बहा दिया ,
बस राख बहानी
अभी
बाकी है!
-कबीर (तुषार)
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
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