तन्हाई चाँद की इतनी भी तन्हा नहीं,
कितने शायरों कैसे उनसे दोस्ती की है !
बहार देखोगे रखी हुई तुम पलकों पर,
खिज़ा से पर दीवानो ने वफ़ा की है !
सो रहा है सुकून के दायरों में कोई,
रात जाग माँ ने कोई दुआ की है !
धीरे धीरे बढ़ो और देखो पहुँच जाओगे,
दुनिया भी खुदा ने कहाँ एक दिन में पूरी की है !
बहुत सोच के लिखो जो चाहते हो पढ़ना,
इतिहास ने पहले ही बहुत गलतियाँ की है !
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.कितनी बड़ी कतार है मंदिरो के बाहर,
वासना की देखो सब ने उपासना की है
-कबीर (तुषार)
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
No comments:
Post a Comment