मुझे दायरों में उड़ने की कुछ यूँ हवा दी है !
होता था पैदा अनाज खेतो खलियानो में ,
वहाँ किसने उनको हवस की भूख दी है !
हाथ थाम लिया और फिर जाने ने दिया,
नेता ने जनता को वादों की बारिश दी है !
ऐसा नहीं कुछ तो अंतर होगा जो दीखता नहीं,
तभी तो माँ ने बेटो को रख , बेटी को विदाई दी है !
-कबीर (तुषार)
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
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