सांवरे रंग से नगर रँगायो ।
गोधूलि बेला बांसुरी मेला,
राधा को प्रेम बंधी
बनायो।
मोर मुकुट, पीताम्बर खेला ,
गोकुल को मदहोश बनायो,
मोहनी मूरत, सांवरी सूरत ,
मीरा को देखो जोगन बनायो
।
कान्हा मेरा , जगत है तेरा ,
कुछ न खोया , उसे जो पायो।
-कबीर (तुषार)
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
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