अंदर समुन्दर है, उसकी यूँ तौहीन न करो !
ज़िन्दगी मिल जाएगी एक दिन मौत से अपनी,
दिन रात की भाग दौड़ से उसे यूँ दीवाना न करो !
आदम का आदम से है ज़रूरतो का रिश्ता ,
कुछ कर दान, अपने होने का भ्रम न करो !
सर ऊंचा है तुम्हारा कि आसमाँ गिरता नहीं,
धुआँ -धुआँ कर उसे गलने को मजबूर न करो
-कबीर (तुषार)
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
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