सब ढूंढे जग को , रे माई , मैं फिरो वृंदावन धाम !
रे माई , मैं फिरो वृंदावन धाम !
मोती चमके, सोना चमके, चमके हीरा पन्ना ,
कुछ न दमके , दमके हैं जैसे मेरो हरी नाम !
रे माई,
दमके हैं जैसे मेरो हरी नाम !
ना मैं मीरा, ना मैं राधा, ना 'कबीर ' सा ज्ञानी;
तृष्णा मेरी बस देखे मोहन, दूजो न कोई काम !
रे माई,
दूजो न कोई काम !
दिन गुज़रे, रात बीते, बीते जाए जीवन,
क्यों बटोरो मैं कुछ, अगर मिल जाए कृष्ण-राम !
रे माई,
अगर मिल जाए कृष्ण-राम
-कबीर (तुषार)
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
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