बस सोया नहीं उस रात,
जाने कैसे खुद से मिला उस रात !
कहता रहा कितनी बात,
सुनता रहा अपनी बात,
कुछ दूर कुछ पास हुआ उस रात !
सोचा नहीं कुछ उस रात,
कुछ अलग था नहीं उस रात,
फिर भी चाँद से तारा हुआ उस रात !
-कबीर (तुषार)
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.
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