Thursday, July 29, 2021

...सा था !

बेकरारी में जाने कैसा करार सा था ,
तारो में कही एक चाँद रूठा सा था !

हँसता फिरता था सारे जहाँ भर में ,
घर का हर कमरा फिर भी अनजान सा था !

हर मोड़ कैसे बदल देता है रुख ऐसे ,
कब्र पर उम्र का अलग मुयाना सा था !

भूल कर याद खाली हुआ भी क्या ,
सोचता रहा कैसा अजीब बोझ सा था !
-कबीर (तुषार)

Friday, June 18, 2021

चलो कुछ लिख देते है ...

कहानी के पन्नो पर,
चलो कुछ लिख देते है ,
जो करते है महसूस ,
चलो  कुछ एहसास कह देते है। 

भूल जाते हैं कुछ समय के लिए ,
कौन पढ़ेगा  उन  पन्नो को ,
और  उन अपने लम्हो के लिए ,
चलो यादो को कलम कर देते है। 

बारिश के साथ जो बह गया,
जो ठहरे बादल सा रह गया,
कुछ चुरा लेते है उस काजल से ,
चलो स्याही उसे कर देते है। 

सफर के हमसफ़र सा,
थमे गुजरते दरख़्त की पत्तियों सा,
उन शाखों को पिरो लेते है ,
चलो चेहरों को शब्द नज़र कर देते है। 

वो जो था या नहीं था ,
हकीक़त और ख़्वाब के बीच कही था ,
कुछ उठा लेते है हकीक़त से,
चलो पुराने ख़्वाबों में नए रंग भर देते है। 

-कबीर (तुषार)

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

लगे है !

मैं जब मुतासिर हो गया खुद से ही ,
देखो लोग सूरज से जलने लगे है !

वो अक्श था निहगों में गुलाब ही तरह ,
न जाने क्यों  काँटों से अश्र गिरने  लगे है !

ता उम्र मशरूफ़ रहा खुदा बनाने में उन्हें ,
वो काफ़िर आज जनाज़े में थकने लगे है !

हर कोई नाटक देखो कर रहा है यहाँ ,
अच्छे बुरे के दायरे मिटने लगे है !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

रहोगे ...

झूठ के कम्बल में यूँ ठिठुरते रहोगे ,
कह दोगे गर सच फिर भी जलते रहोगे !

एक दिन न कोई मान न कोई बेमान रहेगा ,
तुम कहानी पर अपनी ही हैरान रहोगे !

याद कर लो मौत को एक पल के लिए ,
जो जी रहे क्या वैसे ही जीते रहोगे ?

आसमाँ ले जायेगा उन सितारों के पास ,
कुछ लिख जाओगे या गुमनाम रहोगे !

मैं आज भी उनसे मिला कल की तरह,
तुम अब  मुझे मेहमानो में गिनते रहोगे !

-कबीर (तुषार)
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

चोरी से मिल आता हूँ

मैं जब थक जाता हूँ ,
तो थोड़ा सो जाता हूँ ,

आँख बंद कर , चुपके से ;
अपने ही सपनो से देखो ,
चोरी से मिल आता हूँ 
-कबीर (तुषार)
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

ज़िन्दगी तो नहीं !

कहने के लिए मिसरे दर-दर ढूंढता फिरता हूँ 
हो जाएगी मुक़मल ग़ज़ल ही है , ज़िन्दगी तो नहीं !

चलते चलते यूही थका लेता है खुद को नादान ,
क्या क्या खोने पर रोता है , बस अपनी मौत पे रोता नहीं !

जैसे देखता है खुदा को: प्यार से , डर से , बहाने से;
कायनात में बसी रूह उसकी देखता क्यों नहीं !

वो जाते जाते कुछ कह जाता, आखिरी यह एहसान कर जाता ?
उसकी ख़ामोशी के बोझ के साथ हँसता हूँ , रोया जाता नहीं !

-कबीर(तुषार)
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

बदल...

एक नयी कभी पुरानी सी,
ढूंढता रहा हूँ उस तलाश को,
पाके उसे खुश था पल दो पल ,
फिर आँखों के कायदे गए बदल। 

देख लेता हूँ कभी कभी,
उन रुकी हुई तस्वीरों को,
जाने कैसे वो भी देखो  पीली हो गयी,
जैसे वक़्त के दामन गए बदल। 

पढ़ लेता हूँ आज भी,
उन खण्डरों की कहानी को,
लड़ रहे है शायद खुद से ही,
शहर और गाँव दोनों के आदमी गए बदल। 

ज़िन्दगी घड़ी बन रही है,
घंटो में बाँट दिया है हिस्सों को,
मशीन सा होता जा रहा हूँ ,
उन्मुक्ता के दायरे है गए बदल। 

-कबीर (तुषार)
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

अलग...

न मानो बुरा कि, 
हँसता नहीं तुम्हारी बात पर मैं,
मानता हूँ हो मज़ाकिया तुम मियाँ  ,
पर शायद मेरे ज़ायके है अलग । 

न हो उदास देख कि,
मैं तन्हा हूँ नज़रो में ,
दूर हूँ अकेला नहीं,
मेरी तन्हाइयों के मायने है अलग। 

तुम कर लेते हो कैद 'शेर',
मैं कह लेता हूँ 'शेर',
कही दिल , कही दिमाग़ है,
हर किसी की ताक़त है अलग। 

सूरज है तो सितारे कही,
चाँद है तो सूरज नहीं ,
बैर नहीं कोई , गज़ब अंदाज़ है,
रात-दिन का आसमाँ है अलग। 

-कबीर (तुषार)
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

रहा हूँ !

मैं था तो नहीं  चाँद,
फिर भी घटता बढ़ता रहा हूँ,
कभी उसके दुःख पर खुश,
कभी अपने एहसान भूलता रहा हूँ !

मैं था तो नहीं  वक़्त,
फिर भी देखो चलता रहा हूँ,
कभी काफिले रात में बांधता,
कभी अकेला सूरज सा पिघलता रहा हूँ !
 
मैं था तो नहीं  आवाज़,
फिर भी कहता सुनता रहा हूँ,
कभी सन्नाटे की फुसफुसाहट,
कभी शोर में चीखता रहा हूँ !

-कबीर (तुषार)
Creative Commons License

प्रेम नगरिया श्याम बुलायो ...

प्रेम नगरिया श्याम बुलायो,
सांवरे रंग से नगर रँगायो ।
   
गोधूलि बेला बांसुरी मेला,
राधा को प्रेम बंधी  बनायो।   

मोर मुकुट, पीताम्बर खेला ,
गोकुल को मदहोश बनायो,

मोहनी मूरत, सांवरी सूरत ,
मीरा को देखो जोगन बनायो । 

कान्हा मेरा , जगत है तेरा ,
कुछ न खोया , उसे जो पायो। 
-कबीर (तुषार)

होने ...देते है!

बहुत उलझन है सीने में,
गलियो में कुछ चीखता रहता है,
कुछ थोड़ा अलग आज करते है ,
चलो चाँद को सोने देते है!

बहुत थकान है पैरो में,
बातों में ख़ामोशी बैठी है,
कुछ थोड़ा आज झुक जाते है 
चलो रात को गुजरने देते है!

बहुत लिखा है चेहरों पे,
लबो पे कहानी उलझी है,
कुछ हंसी के बादल तकते है 
चलो बारिश को बरसने देते है 

-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

श्याम बिना सूनी है सारी बतियाँ

कैसा है दिन और कैसी है रतियाँ, 
श्याम बिना सूनी है  सारी बतियाँ  || १ || 

जमुना किनारे देखो बैठी अकेली ,
आया न देखो, राह तकती रही सखियाँ  || २  || 

काला काजल काले-काले बादल,
बरसा मेघ बाजी न बाँसुरियाँ  || ३  || 

कौन गली जाऊँ कौन पहर बैठो,
न कोई गाँव कान्हा , न कोई डगरियाँ  || ४  || 

छोड़ गया मोहे , छूटा नहीं मोहसे,
राधा रोइ , मीरा बन गयी जोगनियाँ  || ५  || 

कैसा है दिन और कैसी है रतियाँ,
श्याम बिना सूनी है  सारी बतियाँ 

-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

अभी बाकी है !

तू  जाके भी नहीं गया ,
शायद कोई मौत अभी बाकी है ,
कितनी यादें कितनी उम्मीदें,
बहुत कुछ दफनाना अभी बाकी है !

दीवारों के रंग बदल दिए,
तस्वीरों  से आईने पोछ दिए,
जिस गली में ठहरे खड़े है,
उस गली से गुज़ारना अभी बाकी है !

बातों में वो जो चेहरे है,
गीतों से जुड़ी जो बातें है,
जो फ़क़त कभी लिखा नहीं ,
वो सब मिटाना अभी बाकी है !

वो जलते-२ भुझ भी गया,
आसमां सा वक़्त रुक भी गया,
बहुत कुछ धीरे-२  बहा दिया ,
बस राख बहानी  अभी बाकी है!

-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

एक इंसान हूँ मैं ?

विचित्रता के सत्य का एक प्रमाण हूँ मैं ,
खुदगर्ज़ समाज का पालक, एक इंसान हूँ मैं !

कैद कर रखी है कई जान पिंजरों में,
खुद की स्वतंत्रता के लिए चीखता रहा हूँ मैं !

कितना कुछ बटोर लिया छोड़ जाने के लिए,
आगे पीढ़ी के खाने में जहर घोलता रहा हूँ मैं !

जंगल से गाँव , गाँव से शहर ; लम्बा है सफर,
बर्फ पिघला, अपनी जीत की गर्मी में जल रहा हूँ मैं ! 

राशन तोलता , रिश्ते नापता; हर कुछ आँकता ,
आदम क्या , भगवान का  अनुक्रम रखता  रहा हूँ मैं !

-कबीर (तुषार)

ज़िन्दगी ...

बूँद बूँद कर गिरती रही भरती रही,
ज़िन्दगी पूरी भी हुई और खाली  भी रही !
-कबीर(तुषार) 

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

गुमनामी

मैं ऐसे गुमनामी में मशहूर हो जाओ ,
अपने ही  किसी शेर को सुन दाद दे जाओ !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

ढल रहा ...

न चाँद आसमाँ है , न सूरज ढल रहा !
वक़्त रुका ज़माने से , ज़माना चल रहा !!

कितने मौसम साथ बीते साथ बिताये !
तेरी याद के पन्नो में मेरा ज़िक्र न रहा !!

मन सोचता नहीं, दिल कुछ कहता नहीं !!
कुछ खोया नहीं मैं बस खोया-खोया रहा !!

ढूंढता रहा उससे मंदिर-मस्जिद की भीड़ में !
वो जो बच्चों के साथ बाहर भूखा बैठा रहा !!

आज चार दीवारों में उन्मुक्ता से कैद हूँ !
सब से मिलके भी मेरा अपना यथार्थ रहा !!
-कबीर (तुषार )

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

वादा...


दी थी जो  किताब , उसका उधार रह गया,
पन्नो में कैद था वादा, बस वादा ही रह गया !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

साँस ...चाँद ...

साँस-साँस कर देखो दिन गुज़र जाता है,
कुछ आह है होती  फिर चाँद बदल जाता है !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

वो साथ गुज़ारी शामों के ...

वो साथ गुज़ारी शामों के  ,
कुछ कदम तुमने रखे ,
कुछ राह मैंने थामी ,
वही थे पल , एक साथ गुजरे ,
कुछ याद तुमने चुनली ,
कुछ याद मैंने पाली ,
सालो बाद वही शाम है ,
कुछ लम्हे तुमको हँसाती ,
कुछ बातें हमको जगाती !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

सैलाब

खड़ा हूँ अकेला दरख़्त सा देखो,
कोई छू ले तो मैं भी सैलाब हो जाऊ !
-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

देखो मुझे बड़ा होना अच्छा नहीं लगता

देखो मुझे बड़ा होना अच्छा नहीं लगता   

चलता हूँ पीछे-२ , हाथ नहीं पकड़ता,
गुल्लक में टॉफ़ी के पैसे नहीं भरता !
 
२ बजे आज भी स्कूल की घंटी हूँ सुनता ,
साइकिल पर अब मैं घर नहीं पहुँचता !

दादा-दादी , नाना-नानी की कहानी नहीं सुनता,
अपने सपनो को अब बस यूँ ही नहीं कहता !

काश 'कबीर' बचपन सबका बचपन ही रहता,
शायद  किसी को  बड़ा होना अच्छा नहीं लगता !
-कबीर(तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

न करो ...

मुझसे मिल मुझे नापने की कोशिश न करो, 
अंदर समुन्दर है, उसकी यूँ तौहीन न करो ! 

ज़िन्दगी मिल जाएगी एक दिन मौत से अपनी,
दिन रात की भाग दौड़ से उसे यूँ दीवाना न करो !

आदम का आदम से है ज़रूरतो का रिश्ता ,
कुछ कर दान, अपने होने का भ्रम न करो !

सर ऊंचा है तुम्हारा कि आसमाँ गिरता नहीं,  
धुआँ -धुआँ  कर उसे गलने को मजबूर न करो 

-कबीर (तुषार)  
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

बिना ख़बर...

शक्ल देख अपनी जीते-जी ऐ 'कबीर ',
कही सूरत बदल न जाये बिना ख़बर। 

ख्याल में खो गए, हो गए मदहोश,
अस्ल छूट गया कही  बिना ख़बर।  

वो दोस्तों के साथ हँसते हर कदम,
बईमान बन गया आशिक़  बिना ख़बर।  

इंतज़ार मौत और दस्तक पर बैठे बैठे ,
ज़िन्दगी हुई धुआँ यूही  बिना ख़बर।  

पा लिया ताज-औ-तख़्त ए साहिब ,
ज़मीनी हुआ 'कबीर' फिर भी  बिना ख़बर।  
-कबीर (तुषार)      
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

देता हूँ !

एक धुंधुलाये अक्स सा मुस्कुरा देता हूँ ,
झूठ के दायरों में तुझे सच की आँच  देता हूँ !

ज़र्रे -ज़र्रे बूटे-बूटे  में ढूँढा किये दिल,
तुझे अपने नाम की वजह  देता हूँ ! 

वो भागते भूल गए चाँद से मिलना ,
ए मुसाफिर तुझे तारों की रात  देता हूँ ! 

मिल गए कभी जुदा हुए ए 'कबीर',
सपनो की बस कुछ ऐसे ताबीर  देता हूँ ! 

गिला नहीं , ढूंढा नहीं तुझे ए खुदा ,
मालिक तुझे माँ का नाम  देता हूँ ! 

राहगीर चलते गए।  तलाश में कई ,
तुझे तेरा सा रहगुज़र  देता हूँ ! 

-कबीर (तुषार)     
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...सराय ...

दिल तेरा 'कबीर' एक सराय ही तो है,
नामो से भरेगा और फिर तन्हा रह जायेगा !
-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

समाचार

समाचार कभी  सादाकार था,
आज सब हाहाकार है !
सोचता हूँ सुनते सुनते,
क्या करने कहने वाला  मेरी तरह  शर्मशार है ?

एक मौत  पर न जाने 
कितने घर बनते है ?
एक कपड़ा जो उतरा था,
उससे कितने लिबास सिलते है !

एक पेड़ लगाया छोटा सा,
देखो कितनी तस्वीर छपती है!
वो जला दिए जंगल सारे,
यहाँ इमारते बिकती है !

वो पीड़ित नहीं नमूना है,
उसे बेचना बनता है !
जो मारा गया कारखानों से  ,
इश्तिहार से छुपाना पड़ता है !

सोचता हूँ सुनते सुनते,
क्या करने कहने वाला भी शर्मशार है ?
-कबीर(तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...ज़िन्दगी ...

मैं जागता रहा ज़िन्दगी के स्वागत  में ,
वो सपनो में आने का इंतज़ार करती रही !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons License

दी है !

सोने के बेड़ियों से सजा के यूँ सजा दी है,
मुझे दायरों में उड़ने की कुछ यूँ हवा दी है !

होता था पैदा अनाज खेतो खलियानो में ,
वहाँ किसने उनको हवस की भूख दी है !

हाथ थाम लिया और फिर जाने ने दिया,
नेता ने जनता को वादों की बारिश दी है !

ऐसा नहीं कुछ तो अंतर होगा जो दीखता नहीं,
तभी तो माँ ने बेटो को रख , बेटी को विदाई दी है !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...अज्ञानी ...ज्ञानी ...

अजब गजब खेले खेल, भौचक नहीं तो ज्ञानी,
खादी रेशम ओढ़ के घूमत देखो देह अज्ञानी !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...बूँद ...

वो बूँद रहता तो होता आसमाँ ,
जो बरस गया तो ज़मीन हो गया !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...हैरान ...

देख पीछे  'कबीर' बड़ा हैरान हो गया है ,
जानवर था कभी अब इंसान हो गया है ! 
-कबीर (तुषार )
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...देखो ...

लबों को दाँत से दबाना हुस्न-ए-अदा होगा,
उसी  अदा से कभी आँसू थाम कर देखो !

मिल कर डूबने का लुत्फ़ दरिया होगा,  
फिर भी दूर किनारो पर साथ चल के देखो !

नज़र पर अपनी उससे गुमान बहुत होगा,
क्यों संग गुलाब होते है काँटे, सोच कर देखो !

इंतज़ार ऐसा कोई नहीं जो खत्म न होगा,
ज़मीनी या आसमानी, ये अलग बात है देखो !

-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...की है !

तन्हाई चाँद की इतनी भी तन्हा नहीं,
कितने शायरों कैसे उनसे दोस्ती की है !

बहार देखोगे रखी हुई तुम पलकों पर,
खिज़ा से पर दीवानो ने वफ़ा की है !

सो रहा है सुकून के दायरों में कोई,
रात जाग माँ  ने कोई दुआ की है !

धीरे धीरे बढ़ो और देखो पहुँच जाओगे,
दुनिया भी खुदा ने कहाँ एक दिन में पूरी की है !

बहुत सोच के लिखो जो चाहते हो पढ़ना,
इतिहास ने पहले ही बहुत गलतियाँ की है !

कितनी बड़ी कतार है मंदिरो के बाहर,
वासना की देखो सब ने उपासना की है 
-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...याद ...

आईना कहता कि  , वक़्त बदल गया है,
पर याद है कम्बख्त बूढ़ी नहीं होती !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons License

रोया नहीं उस रात...

मैं रोया नहीं उस रात,
बस सोया नहीं उस रात,
जाने कैसे खुद से मिला उस रात !

कहता रहा कितनी बात,
सुनता रहा अपनी  बात,
कुछ दूर कुछ पास हुआ उस रात !

सोचा नहीं कुछ उस रात,
कुछ अलग था  नहीं उस रात,
फिर भी चाँद से तारा हुआ उस रात !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

मैं फिरो वृंदावन धाम !

अनेक नाम जग में , मेरो तो  गिरिधर श्याम ,
सब ढूंढे जग को , रे  माई , मैं  फिरो वृंदावन धाम !
 रे  माई , मैं  फिरो वृंदावन धाम !  

मोती चमके, सोना चमके, चमके हीरा पन्ना ,
कुछ न दमके , दमके हैं जैसे मेरो  हरी नाम !
रे  माई,  दमके हैं जैसे मेरो  हरी नाम !

ना मैं मीरा, ना मैं राधा, ना 'कबीर ' सा ज्ञानी;
तृष्णा मेरी बस देखे मोहन, दूजो न कोई काम ! 
रे  माई,  दूजो न कोई काम !

दिन गुज़रे, रात बीते, बीते जाए जीवन,
क्यों बटोरो मैं कुछ, अगर मिल जाए कृष्ण-राम !
रे  माई,  अगर मिल जाए कृष्ण-राम

-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

Thursday, December 29, 2016

...शायद बारिश हो रही है...


उस घर से निकल भाग कर इस दरवाज़े तक आ गया हूँ...
भीगा है दरवाज़ा , शायद बारिश हो रही है ...
यहाँ नयी जगह कोई खिड़की नहीं दिखती
है तो बस आखें , जो बंद हो आज भी उस घर तक पहुच जाती है
खुली तो कुछ टपक गया ...एक माजी शायद ...
या ...फिर पता नहीं , शायद बारिश हो रही है...
बड़ी सावली सी छत , सीडियों पे  पर आ बैठी है
और एक में खड़ा हूँ , उस बदल के साथ ..वही ..
कुछ साफ़ दिखता नहीं...चश्मे पे ओस  है ..
या...फिर पता नहीं...शायद बारिश हो रही है ...
वो कुर्सी के आगे रखी है चाय, पकोडो कि खुशबू के साथ ..
रसोई में पर कोई नहीं है , बस हवा कुछ सिली है
या ...फिर पता नहीं...शायद बारिश हो रही है ...
-कबीर
-------
जितने भी तय करते गए बढते गए यह फासले ...
मिलो से दिन छोड़ आये , सालो से रात लेके चले - गुलज़ार 

Wednesday, November 30, 2016

...था...


आज फिर बरस गया
आज फिर भीग गया
कागज़ सा एक खवाब था ...

आज फिर कह गया
आज फिर सह गया
पत्थर सा एक आदम था...

आज फिर हंस गया
आज फिर बह गया
आईने  सा एक चेहरा था...

आज फिर रुक गया
आज फिर ठहर गया
सोच सा एक दर्द था ...

आज फिर मिल गया
आज फिर खिल गया
ओस सा रिश्ता था ...
-तुषार
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...आइना ...


बक्श कर गुनाह मेरे, चला गया सुकून में ...
पर घर पर आपना आइना एक छोड़ गया है ...
(This may need completion )
-तुषार 

...तलाश ...


कई रातों से लिखा नहीं कुछ,
दिन कई जैसे जोड़ रहा हूँ ,
रिश्ते जाने बस छूट गए है , 
या मैं अनजाने पीछे रह गया हूँ .
वो क्या था क्या है पिघलता सा ,
सच और झूठ मैं ढूँढ रहा हूँ ,
मैं और मैं कि तस्वीर को ले कर , 
अपना सा वो आइना दूंध रहा हूँ;
-तुषार

 

...साँस..याद


साँसो की डोर से बंधा सा सब… 
छोड़ दी वो साँस छोड़ दिए बंधन सभी .… 
पर हम तो अभी जी है रहे 
बंधे है साँसों से अपनी अभी.… 
सो जोड़ लिया इन साँसों को तुम्हारी यादो से अब…
-तुषार 


Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...सफर ...


हर आगाज़ को अंजाम की चाह  तो नहीं ,
सफर हमसफ़र रहनुमा से है , मंज़िलों से नहीं 

मिलते है बिछड़ते है, बिछड़ते है मिलते है,
ज़िन्दगी  के मौसम के यह कुछ अंदाज़ तो नहीं,

बंद कर आँखो  को, पलो में  सदिया बाँध लेते है,
याद किसी के वक़्त की मोहताज़ तो नहीं 

तुम हो, हम है , आज यहाँ कल कहीं ,
यह पलछिन फिर होगे , रास्ते बदले है जज़्बात नहीं 
-तुषार

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...लम्हे ...


हर पल अपने हिस्से की दर्द या ख़ुशी जी  लेता है
फिर ..
लम्हे बीत  जाते है, एहसास गुज़र जाते है ..
-तुषार 

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...पल ...


जब आँखों में बसे चेहरे धुंधले हो जाये
जब मन के किस्से बस कही गम हो जाये
जब सपने हक़ीक़त से मिल सहम से जाये
तब रात के आलम में सब चाँद हो जाये
जब कदम रास्तो से बोझिल हो जाये
जब रौशनी सायो से गुम हो जाये
जब आईने का अक्श उदू (दुश्मन) हो जाये
तब जब तन्हाई भिखरी बारिश हो जाये
जब तब के झूले पे जब वक़्त सो जाये
तब भी मेरा हर पल तेरी शमा हो जाये
-तुषार 

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...ख़ज़ाने...


अगर एक दर्द से दूसरा कम  हो जाता
ये सफर हर साथी का हमसफ़र हो जाता
बटोरते रहे गमो के ख़ज़ाने को ए 'कबीर'
कोई तो ये दौलत छीन ले जाता
-तुषार

Creative Commons License 

My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.


...अपील ...


अज़ीब कशमकष है...
दिल भरा है, पर सब खाली...
कोई हैरानी नही न कोई दिवानगी...
दर्द छूट गया खुशी बीत गई...
रास्ता ठहरा है हम भागते कही....
कोई बस कर दे बदं पलक आके...
दुशमन न हो दोस्त ही सही..
-तुषार

Creative Commons License 

My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...बदल जायेगा

बहुत सर्दी है अंदर
खुद को खुद में समेत लिया है
कोई चादर नहीं कोई ओढ़ना नहीं
बहुत  ठण्ड है अजीब चुभती सी।..
चीखती सी खामोश सफेदी
....
काश कोई नरम हाथ आके थाम  ले मेरी
सुन्न  हथेली ...
कह दे
यह मौसम भी तो बदल जायेगा
-तुषार

...चाहता हूं ...

आज बहूत रोना चाहता हूं
घर ढूंढ रहा हो माकन से जाना चाहता हूं
अपनों से दर्द छुपा लेता हूँ
बेगानो से जुदा रहना चाहता हूँ
कहते है ज़िन्दगी मेरी है , पर रस्ते नहीं
इन राहो से बस अब गुज़र जाना चाहता हूं
-तुषार

Sunday, July 07, 2013

यथार्थ

यथार्थ से मिलके क्या पायेगा तू ,
ज़िन्दगी से भाग के कहाँ जायेगा तू ,
यह पल  अगर तेरा कर्म है तो पीले इसे ,
अगर नहीं तो भी जी ले इसे ,
पानी यह आंसू है या मोती ?
यह तो वक़्त की रफ़्तार के साथ ही बस जान  पायेगा तू
-तुषार 


Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.