Saturday, October 24, 2009

इंतज़ार ....

न जाने लफ्ज़ कहाँ गुम हो गए,
नाम लिखने के बाद ...
कुछ भी न लिख सका उस चेहरे की कर याद ...
खली ख़त ही भेज दिया जाने किस उम्मीद के साथ ...
हर जवाब तुम हो ...आज भी है इंतज़ार ...
-कबीर का दोस्त

ऐसे ही ...एक ख्याल


चोखट खुली आज भी है ,
आँख कुछ सुनी भी ,
घड़ी का वक्त वही है,
जहाँ शुरु हुआ था ये इंतज़ार भी ,
किताब मैं कहीं पत्ते सूखे है ,
धूल पड़ी है आईने पर ,
और कुछ बूँदें आँगन में...
...बस बरस रही है ,
दूर उसी सूखी चोखट से...
-तुषार

तमन्ना ....

न इंतज़ार कोई , न है बेबसी सी
कहीं बस ख्याल उनका कुछ गुदगुदा जाता है
वो कहे न कहे कुछ हमसे , तो क्या ?
किसी तमन्ना से दिल फिर भी मुस्कुरा जाता है...
-तुषार

परख ...

खुश वो तो हो मैं भी
पर कब तक बस उनके लिए
परख उनको भी ऐ मेरे मालिक
बख्श उन्हें भी हँसी मेरी
-तुषार