Friday, October 21, 2011

...आँचल...

क्या माँ के आँचल को छू सकता हूँ...
कुछ थक सा गया हूँ , क्या माँ कि गोद में सो सकता हूँ...
कहते है बड़ा हूँ गया है अब 'कबीर' ...
पर क्या कुछ पल के लिए माँ का चंदा बन सकता हूँ ?
-तुषार

Wednesday, October 19, 2011

...घर...

क्या छुट गया पीछे , घर में, कौन देखे मुड के ?
कहीं थोड़ी सीलन , कहीं चोबे उतारी तस्वीरो के
कुछ दरवाज़े खुले , कमरों के, कुछ चेहरे खाली आइनों के
कुछ बाँध लिया पेटी में, कुछ पीछे रह सिक्के दादू के...
-तुषार

Tuesday, October 18, 2011

...आइना...

बक्श करे गुनाह मेरे , चला गया सुकून में...
पर घर पर अपना आइना एक, छोड़ गया है ...
-तुषार