Sunday, July 07, 2013

यथार्थ

यथार्थ से मिलके क्या पायेगा तू ,
ज़िन्दगी से भाग के कहाँ जायेगा तू ,
यह पल  अगर तेरा कर्म है तो पीले इसे ,
अगर नहीं तो भी जी ले इसे ,
पानी यह आंसू है या मोती ?
यह तो वक़्त की रफ़्तार के साथ ही बस जान  पायेगा तू
-तुषार 


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My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.