Wednesday, November 30, 2016

...था...


आज फिर बरस गया
आज फिर भीग गया
कागज़ सा एक खवाब था ...

आज फिर कह गया
आज फिर सह गया
पत्थर सा एक आदम था...

आज फिर हंस गया
आज फिर बह गया
आईने  सा एक चेहरा था...

आज फिर रुक गया
आज फिर ठहर गया
सोच सा एक दर्द था ...

आज फिर मिल गया
आज फिर खिल गया
ओस सा रिश्ता था ...
-तुषार
Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...आइना ...


बक्श कर गुनाह मेरे, चला गया सुकून में ...
पर घर पर आपना आइना एक छोड़ गया है ...
(This may need completion )
-तुषार 

...तलाश ...


कई रातों से लिखा नहीं कुछ,
दिन कई जैसे जोड़ रहा हूँ ,
रिश्ते जाने बस छूट गए है , 
या मैं अनजाने पीछे रह गया हूँ .
वो क्या था क्या है पिघलता सा ,
सच और झूठ मैं ढूँढ रहा हूँ ,
मैं और मैं कि तस्वीर को ले कर , 
अपना सा वो आइना दूंध रहा हूँ;
-तुषार

 

...साँस..याद


साँसो की डोर से बंधा सा सब… 
छोड़ दी वो साँस छोड़ दिए बंधन सभी .… 
पर हम तो अभी जी है रहे 
बंधे है साँसों से अपनी अभी.… 
सो जोड़ लिया इन साँसों को तुम्हारी यादो से अब…
-तुषार 


Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...सफर ...


हर आगाज़ को अंजाम की चाह  तो नहीं ,
सफर हमसफ़र रहनुमा से है , मंज़िलों से नहीं 

मिलते है बिछड़ते है, बिछड़ते है मिलते है,
ज़िन्दगी  के मौसम के यह कुछ अंदाज़ तो नहीं,

बंद कर आँखो  को, पलो में  सदिया बाँध लेते है,
याद किसी के वक़्त की मोहताज़ तो नहीं 

तुम हो, हम है , आज यहाँ कल कहीं ,
यह पलछिन फिर होगे , रास्ते बदले है जज़्बात नहीं 
-तुषार

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...लम्हे ...


हर पल अपने हिस्से की दर्द या ख़ुशी जी  लेता है
फिर ..
लम्हे बीत  जाते है, एहसास गुज़र जाते है ..
-तुषार 

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...पल ...


जब आँखों में बसे चेहरे धुंधले हो जाये
जब मन के किस्से बस कही गम हो जाये
जब सपने हक़ीक़त से मिल सहम से जाये
तब रात के आलम में सब चाँद हो जाये
जब कदम रास्तो से बोझिल हो जाये
जब रौशनी सायो से गुम हो जाये
जब आईने का अक्श उदू (दुश्मन) हो जाये
तब जब तन्हाई भिखरी बारिश हो जाये
जब तब के झूले पे जब वक़्त सो जाये
तब भी मेरा हर पल तेरी शमा हो जाये
-तुषार 

Creative Commons License
My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...ख़ज़ाने...


अगर एक दर्द से दूसरा कम  हो जाता
ये सफर हर साथी का हमसफ़र हो जाता
बटोरते रहे गमो के ख़ज़ाने को ए 'कबीर'
कोई तो ये दौलत छीन ले जाता
-तुषार

Creative Commons License 

My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.


...अपील ...


अज़ीब कशमकष है...
दिल भरा है, पर सब खाली...
कोई हैरानी नही न कोई दिवानगी...
दर्द छूट गया खुशी बीत गई...
रास्ता ठहरा है हम भागते कही....
कोई बस कर दे बदं पलक आके...
दुशमन न हो दोस्त ही सही..
-तुषार

Creative Commons License 

My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

...बदल जायेगा

बहुत सर्दी है अंदर
खुद को खुद में समेत लिया है
कोई चादर नहीं कोई ओढ़ना नहीं
बहुत  ठण्ड है अजीब चुभती सी।..
चीखती सी खामोश सफेदी
....
काश कोई नरम हाथ आके थाम  ले मेरी
सुन्न  हथेली ...
कह दे
यह मौसम भी तो बदल जायेगा
-तुषार

...चाहता हूं ...

आज बहूत रोना चाहता हूं
घर ढूंढ रहा हो माकन से जाना चाहता हूं
अपनों से दर्द छुपा लेता हूँ
बेगानो से जुदा रहना चाहता हूँ
कहते है ज़िन्दगी मेरी है , पर रस्ते नहीं
इन राहो से बस अब गुज़र जाना चाहता हूं
-तुषार