Wednesday, November 30, 2016

...चाहता हूं ...

आज बहूत रोना चाहता हूं
घर ढूंढ रहा हो माकन से जाना चाहता हूं
अपनों से दर्द छुपा लेता हूँ
बेगानो से जुदा रहना चाहता हूँ
कहते है ज़िन्दगी मेरी है , पर रस्ते नहीं
इन राहो से बस अब गुज़र जाना चाहता हूं
-तुषार

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