Wednesday, November 30, 2016

...बदल जायेगा

बहुत सर्दी है अंदर
खुद को खुद में समेत लिया है
कोई चादर नहीं कोई ओढ़ना नहीं
बहुत  ठण्ड है अजीब चुभती सी।..
चीखती सी खामोश सफेदी
....
काश कोई नरम हाथ आके थाम  ले मेरी
सुन्न  हथेली ...
कह दे
यह मौसम भी तो बदल जायेगा
-तुषार

No comments:

Post a Comment