Wednesday, November 30, 2016

...सफर ...


हर आगाज़ को अंजाम की चाह  तो नहीं ,
सफर हमसफ़र रहनुमा से है , मंज़िलों से नहीं 

मिलते है बिछड़ते है, बिछड़ते है मिलते है,
ज़िन्दगी  के मौसम के यह कुछ अंदाज़ तो नहीं,

बंद कर आँखो  को, पलो में  सदिया बाँध लेते है,
याद किसी के वक़्त की मोहताज़ तो नहीं 

तुम हो, हम है , आज यहाँ कल कहीं ,
यह पलछिन फिर होगे , रास्ते बदले है जज़्बात नहीं 
-तुषार

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My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

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