Friday, June 18, 2021

रोया नहीं उस रात...

मैं रोया नहीं उस रात,
बस सोया नहीं उस रात,
जाने कैसे खुद से मिला उस रात !

कहता रहा कितनी बात,
सुनता रहा अपनी  बात,
कुछ दूर कुछ पास हुआ उस रात !

सोचा नहीं कुछ उस रात,
कुछ अलग था  नहीं उस रात,
फिर भी चाँद से तारा हुआ उस रात !
-कबीर (तुषार)

Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

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