Friday, June 18, 2021

अलग...

न मानो बुरा कि, 
हँसता नहीं तुम्हारी बात पर मैं,
मानता हूँ हो मज़ाकिया तुम मियाँ  ,
पर शायद मेरे ज़ायके है अलग । 

न हो उदास देख कि,
मैं तन्हा हूँ नज़रो में ,
दूर हूँ अकेला नहीं,
मेरी तन्हाइयों के मायने है अलग। 

तुम कर लेते हो कैद 'शेर',
मैं कह लेता हूँ 'शेर',
कही दिल , कही दिमाग़ है,
हर किसी की ताक़त है अलग। 

सूरज है तो सितारे कही,
चाँद है तो सूरज नहीं ,
बैर नहीं कोई , गज़ब अंदाज़ है,
रात-दिन का आसमाँ है अलग। 

-कबीर (तुषार)
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My Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

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