Friday, June 18, 2021

श्याम बिना सूनी है सारी बतियाँ

कैसा है दिन और कैसी है रतियाँ, 
श्याम बिना सूनी है  सारी बतियाँ  || १ || 

जमुना किनारे देखो बैठी अकेली ,
आया न देखो, राह तकती रही सखियाँ  || २  || 

काला काजल काले-काले बादल,
बरसा मेघ बाजी न बाँसुरियाँ  || ३  || 

कौन गली जाऊँ कौन पहर बैठो,
न कोई गाँव कान्हा , न कोई डगरियाँ  || ४  || 

छोड़ गया मोहे , छूटा नहीं मोहसे,
राधा रोइ , मीरा बन गयी जोगनियाँ  || ५  || 

कैसा है दिन और कैसी है रतियाँ,
श्याम बिना सूनी है  सारी बतियाँ 

-कबीर (तुषार)
Creative Commons LicenseMy Shadow by Tushar Sharma- 'Kabir' is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Based on a work at www.myshadewithshadow.blogspot.com.

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